Contact & Connection - Chetan Patel
 

Contact & Connection

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Contact & Connection

Difference between ”Contact & Connection”

एक बहुत बड़े साधु का न्यूयार्क का बड़ा पत्रकार इंटरव्यू ले रहा था.
पत्रकार ने जैसा प्लान किया था वैसे ही इंटरव्यू लेना शुरू किया.
पत्रकार — सर(Sir)आपने अपने लास्ट लेक्चर में Contact और Connection पर स्पीच दिया लेकिन यह बहुत कन्फ्यूज करने वाला था. क्या आप इसे समझा सकते हैं??

साधु मुस्कराये और उन्होंने उल्टा प्रश्न से कुछ अलग पत्रकार से ही पूछना शुरू कर दिया.
“आप न्यूयॉर्क से हैं?”
पत्रकार: “Yeah…”
सन्यासी: “आपके घर मे कौन कौन हैं?”

पत्रकार को लगा कि साधु उनका सवाल टालने की कोशिश कर रहा है क्योंकि उनका सवाल बहुत व्यक्तिगत और उसके सवाल के जवाब से अलग था.

फिर भी पत्रकार बोला: मेरी “माँ अब नही हैं, पिता हैं तथा 3 भाई और एक बहन हैं जो सब शादीशुदा हैं”.

साधू ने चेहरे पे हल्की सी मुस्कराहट के साथ पूछा: “आप अपने पिता से बात करते हैं?”

पत्रकार चेहरे से गुस्से में लगने लगा…

साधू ने पूछा, “आपने अपने फादर से last कब बात की?”

पत्रकार ने अपना गुस्सा दबाते हुए जवाब दिया : “शायद एक महीने पहले”.

साधू ने पूछा: “क्या आप भाई-बहन अक़्सर मिलते हैं? लास्ट आप सब कब मिले एक परिवार की तरह?”

इस सवाल पर पत्रकार के माथे पर पसीना आ गया कि इंटरव्यू मैं ले रहा हूँ या ये साधु? ऐसा लगा साधु, पत्रकार का इंटरव्यू ले रहा है?

एक आह के साथ पत्रकार बोला: “क्रिसमस पर 2 साल पहले”.

साधू ने पूछा: “कितने दिन आप सब साथ में रहे?”

पत्रकार अपनी आँखों से निकले आँसुओं को पोंछते हुये बोला: “3 दिन…”

साधु: “कितना वक्त आप भाई बहनों ने अपने पिता के बिल्कुल करीब बैठ कर गुजारा?

पत्रकार हैरान और शर्मिंदा दिखा और एक कागज़ पर कुछ लिखने लगा…

साधु ने पूछा: ” क्या आपने पिता के साथ नाश्ता, लंच या डिनर लिया? क्या आपने अपने पिता से पूछा के वो कैसे हैँ? माता की मृत्यु के बाद उनका वक्त कैसे गुज़र रहा है?

पत्रकार की आंखों से आंसू छलकने लगे.

साधु ने पत्रकार का हाथ पकड़ा और कहा: ” शर्मिंदा, परेशान या दुखी मत होना. मुझे खेद है अगर मैंने आपको अनजाने में चोट पहुंचाई है … लेकिन ये ही आपके सवाल का जवाब है Contact and Connection.

आप अपने पिता के सिर्फ संपर्क (Contact) में हैं पर आपका उनसे कोई ‘Connection’ नही है. You are not connected to him.. आप अपने father से संपर्क में हैं जुड़े नही है .

Connection हमेश आत्मा से आत्मा का होता है, heart से heart होता है…
एक साथ बैठना, भोजन साझा करना और एक दूसरे की देखभाल करना, स्पर्श करना, हाथ मिलाना, आँखों का संपर्क होना, कुछ समय एक साथ बिताना …

आप अपने पिता, भाई और बहनों के संपर्क (‘Contact’) में हैं लेकिन आपका आपस मे कोई’ (Connection) नहीं है”.

पत्रकार ने आंखें पोंछी और बोला: “मुझे एक अच्छा और अविस्मरणीय सबक सिखाने के लिए धन्यवाद”.

वो तब का न्यूयार्क था पर आज ये भारत की भी सच्चाई हो चली है, at home और society में सबके हज़ारो संपर्क (contacts) हैं पर कोई connection नही. कोई विचार-विमर्श नहीं… हर आदमी अपनी नकली दुनिया में खोया हुआ है।

हमें केवल “संपर्क” नहीं बनाए रखना चाहिए अपितु “कनेक्टेड” भी रहना, चाहिये। हमें हमारे सभी प्रियजनों की देखभाल करना, उनके सुख-दुख को साझा करना और साथ में समय व्यतीत करना चाहिए…

वो साधु और कोई नहीं “पूज्य स्वामी विवेकानंद” थे.

Source: Whats app message

Thanks to @ અક્ષર થાળ કેટરર્સ & Paresh Sanghani, SP Agro

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